सीकर. आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से बिजली माफ करने की घोषणा की गई है। इससे सीकर जिले के करीब 65 हजार किसानों को फायदा होगा। हर किसान के हर माह अधिकतम 833 रुपए माफ होंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक हर साल अधिकतम दस हजार तक माफ किया जाएगा। यह योजना बिलिंग माह नवम्बर 2018 से लागू होगी। ऊर्जा विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार वर्तमान बिलिंग व्यवस्था के अनुसार ही कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत विपत्र (बिल) जारी किए जाएंगे। कृषि उपभोक्ताओं को विपत्र की राशि जमा कराने के बाद ही उसका पुनर्भरण अनुदान के रूप में किया जाएगा। संबंधित उपभोक्ता पर कोई बकाया होने पर अनुदान देय नहीं होगा। यदि किसी महीने उपभोक्ता को देय पुनर्भरण राशि 833 रुपए से कम है तो इसका समायोजन उसी वित्तीय वर्ष के अगले माह में
किया जाएगा।
किया जाएगा।
एक हजार को नहीं होगा फायदा
यह योजना केवल सामान्य श्रेणी ग्रामीण के कृषि कनेक्शन वालों के लिए ही है। ऐसे में शहर में रहने वाले किसानों को इस योजना का फायदा नहीं होगा। सीकर जिले में शहरी किसानों की बात करें तो करीब एक हजार किसान शहरी है। जो इस घोषणा का फायदा नहीं उठा पा सकेंगे।
यह योजना केवल सामान्य श्रेणी ग्रामीण के कृषि कनेक्शन वालों के लिए ही है। ऐसे में शहर में रहने वाले किसानों को इस योजना का फायदा नहीं होगा। सीकर जिले में शहरी किसानों की बात करें तो करीब एक हजार किसान शहरी है। जो इस घोषणा का फायदा नहीं उठा पा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
किसानों को सस्ती बिजली देने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने गौरव यात्रा के समापन समारोह में कल ही किसानों को बिजली बिल में छूट देने की घोषणा की थी। अजमेर में हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे।
जिले का गणित
कुल सामान्य ग्रामीण कृषि कनेक्शन 65 हजार
हर माह एक किसान के माफ होंगे 833 रुपए
एक माह में कुल माफ 5 करोड़ 41 लाख 45 हजार
एक साल में बचेंगे 64 करोड 97 लाख के लगभग
इनका कहना है
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की घोषणा से किसानों को जरूर लाभ होगा। हालांकि संर्पूण कर्ज माफी और स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने जैसी मांगों केा पूरा नहीं करना दुखद है। जिसको लेकर किसानों की सरकार से नाराजगी रहेगी।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की घोषणा से किसानों को जरूर लाभ होगा। हालांकि संर्पूण कर्ज माफी और स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने जैसी मांगों केा पूरा नहीं करना दुखद है। जिसको लेकर किसानों की सरकार से नाराजगी रहेगी।