.HIGH SPEED: जल स्वावलम्ब योजना

More Services

Text Widget

जल स्वावलम्ब योजना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
जल स्वावलम्ब योजना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

राजस्थान गवर्मेंट जल स्वावलम्ब योजना के बारे में

अक्तूबर 13, 2018
राजस्थान गवर्मेंट जल स्वावलम्ब योजना के बारे में
 

 जल स्वावलम्ब योजना

में राजस्थान ने एक बहतरीन कदम उठते हुए बेकार हाकर जाने वाले पानी को एक सुलभ व काम आने के लिय इस योजना का सुभारम्भ किया जिसमे बारिष का पानी इकठा करने के लिय कुए बावड़ियो का निर्माण करवाया 
गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी 2016 से ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ की शुरुआत की गई। बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढा़ना इस अभियान का मूल उद्देश्य है।

पहला चरण

अभियान के पहले चरण (27 जनवरी 2016 से 30 जून 2016 तक) में प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया। अभियान के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण किया गया है। इन जल संरचनाओं के निकट 26.5 लाख से ज़्यादा पौधारोपण भी किया गया है साथ ही इन पौधों का अगले 5 सालों तक संरक्षण भी इस अभियान में शामिल है। इसमें भू-संरक्षण, पंचायतीराज, मनरेगा, कृषि, उद्यान, वन, जलदाय, जल संसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 राजकीय विभागों, सामाजिक धार्मिक समूहों एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच और बारिश के जल की एक-एक बूंद को सहज कर भूमि में समाहित करने की परिकल्पना अब साकार रूप लेने लगी है। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये गए। अभियान में बनी जल संरचनाओं से लम्बे समय के लिए पानी इकट्ठा हुआ है और गांव जल आत्मनिर्भर बने हैं।

दूसरा चरण

9 दिसम्बर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण में 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया व 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी अभियान में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस चरण में रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाये गए हैं।
इस चरण में 2100 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए गए हैं।

तीसरा चरण

तीसरे चरण का शुभारम्भ 9 दिसम्बर 2017 से हो चुका है। इसमें 4240 गांवों में काम किया जायेगा।
इस अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है।
बारिश के पानी को बहने से रोकने से लाभ
  • सतही स्त्रोतों में पानी जमा हुआ
  • भूजल का स्तर बढ़ा
  • पानी के बहाव से मिट्टी की ऊपरी सतह के बहाव को रोका गया, मिट्टी की नमी बढ़ी
  • खेती की पैदावार में बढ़ोतरी हुई