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राजस्थान सरकार का खजाना खाली, अल्कालीन कर्ज माफी ही एक रास्ता

Rajasthan government. राजस्थान में किसानों की कर्ज माफी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी मुश्किल खाली खजाने की है।

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी के स्थान पर अल्पकालीन कर्ज ही माफ किए जा सकते हैं। किसानों की कर्ज माफी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी मुश्किल खाली खजाने की है। अब राज्य सरकार संपूर्ण कर्ज माफी के स्थान पर पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तर्ज पर अल्पकालीन कर्ज ही माफ करने पर विचार कर रही है। राज्य में करीब 59 लाख किसानों पर कर्ज है। इनमें से अल्पकालीन कर्ज के दायरे में 47 लाख किसान आते हैं और इन पर करीब 77 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसानों को कर्ज माफी का तोहफा देने के लिए गुणा भाग कर रहे हैं।

वसुंधरा सरकार ने लिया 24,557 करोड़ का कर्ज
मुश्किल यह है कि राजस्थान सरकार के पास पैसा है ही नहीं। मौजूदा बजट में सरकार के उधार लेने की सीमा 28 हजार करोड़ है, जबकि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार अब तक 24,557 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। ऐसे में कर्ज माफी के लिए बजट का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा है। राज्य में करीब 59 लाख किसानों पर 99 हजार 995 करोड़ का कर्ज है। इसमें अल्पकालीन कर्ज 47 लाख किसानों के ऊपर 77 हजार 668 करोड़ का है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लोगों से किए गए वादे के अनुरूप छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सरकारों ने कर्ज माफी की घोषणा कर दी, एेसे में गहलोत सरकार पर भी दबाव बना हुआ है।
कर्ज माफी के निम्न फार्मूलों पर हो रहा विचार
-फसल उत्पादन के लिए लिया गया कर्ज ही माफ किया जाए। कृषि यंत्रों के लिए कर्ज को माफ नहीं किया जाए।
-दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों का कर्ज माफ किया जाए।
-दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए जाए।
-सहकारी और अन्य सरकारी बैंकों से लिए गए कर्ज को ही माफ किया जाए, प्राइवेट बैंकों के कर्ज को माफी नहीं की जाए।
यह होता है अल्पकालीन कर्ज
अल्पकालीन कर्ज किसानों को फसल बुआई के लिए दिया जाता है। व्यावसायिक बैंक कर्ज एक साल के लिए देती है। इस पर किसान से चार प्रतिशत ब्याज लिया जाता है। तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान केंद्र सरकार देती है। वहीं, सहकारी बैंक अल्पकालीन फसली कर्ज छह माह के लिए देती है। यह कर्ज ब्याज मुक्त होता है। सहकारी बैंक को ब्याज का पुनर्भरण सरकार करती है।
कर्नाटक का फार्मूला
सहकारी या सरकारी संस्था में 20 हजार रुपये तक की नौकरी करने वाले किसानों को कर्ज माफी के दायरे से बाहर रखा गया। साहूकारों से लिए गए कर्ज को माफ नहीं किया गया। एक लाख रुपये की सीमा रखी गई। उससे ऊपर की कर्ज राशि ब्याज सहित पहले चुकानी होगी, तभी एक लाख रुपये का कर्ज माफ होगा।
पंजाब सरकार की कर्ज माफी का गणित 
10 लाख किसानों को लाभ मिलना था, लेकिन विभिन्न शर्तों के चलते मिला मात्र पांच लाख किसानों को ही। दो लाख रुपये तक के कर्जदार किसानों को ही योजना का लाभ मिला।  

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