पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं और चुनाव आयोग के आंकड़ों से जाहिर है कि आप दिल्ली से बाहर पंजाब को छोड़कर कहीं अन्य अपनी प्रभावपूर्ण उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है।
अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) | तस्वीर साभार: PTI
नई दिल्ली : दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) लगातार देश के विभिन्न हिस्सों में अपना प्रसार बढ़ाने में जुटी है। पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के लिए हुए विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने किस्मत आजमाई थी। लेकिन पार्टी को यहां निराशा हाथ लगी। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। इतना ही नहीं, पार्टी का वोट प्रतिशत नोटा से भी कम रहा और कई जगह उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से आप ने 208 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी उम्मदवार जीत नहीं सका। राज्य में पार्टी को नोटा (सभी उम्मीदवारों को खारिज करने के विकल्प) से भी कम वोट मिले। यहां नोटा के लिए 1.4 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि आप को महज 0.7 प्रतिशत वोट मिले।
इसी तरह राजस्थान के 200 विधानसभा क्षेत्रों में से 142 में आप ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी को वहां भी जीत नहीं मिली। यहां आप को महज 0.4 प्रतिशत वोट मिले, जबकि नोटा के लिए यह 1.3 प्रतिशत रहा।
छत्तीसगढ़ की 90 में से 85 विधानसभा सीटों पर आप ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन यहां भी पार्टी को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। यहां पार्टी को 0.9 प्रतिशत वोट मिले, जबकि नोटा का वोट प्रतिशत 2.0 रहा।
हिन्दी भाषी तीन प्रमुख राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में आप के प्रदर्शन से जाहिर है कि दिल्ली से बाहर पंजाब के अतिरिक्त वह किसी भी अन्य राज्य में अपनी प्रभावपूर्ण मौजूदगी नहीं दर्ज करा पाई है। चुनाव आयोग के आंकड़ों से साफ है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वोटर्स ने आप प्रत्याशियों के मुकाबले नोटा को तरजीह दी।
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