तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनते ही कांग्रेस के मुख्यमंत्री एक्शन में आ गए हैं। मध्य प्रदेश और छत्तसीगढ़ की सरकारों ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया, जो कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का सबसे बड़ा वादा था। कमलनाथ ने शपथ ग्रहण करने के बाद सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ करने वाली फाइल पर साइन किए। इसके अलावा भूपेश बघेल ने भी पहली कैबिनेट में छत्तीसगढ़ के किसानों का कर्जा माफ किया।
कमलनाथ ने सोमवार शाम सबसे पहले किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्ज माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए। किसानों के दो लाख की सीमा तक का 31 मार्च, 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ करने का आदेश जारी कर दिया गया। इस निर्णय से लगभग 34 लाख किसान लाभान्वित होंगे। फसल ऋण माफी पर संभावित व्यय 35 से 38 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस साल सात जून को मंदसौर जिले की पिपल्या मंडी में एक रैली में घोषणा की थी कि यदि मध्य प्रदेश में उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर देगी। 11वां दिन नहीं लगेगा।
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ध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ की नव निर्वाचित कांग्रेस सरकार ने भी शपथ लेने के कुछ घंटों के अंदर ही सोमवार को किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया, 'पहली कैबिनेट मीटिंग के तीन बड़े फैसले- 1. 16 लाख 65 हजार से अधिक किसानों का 6100 करोड़ रुपए का कर्जा माफ। 2. धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए प्रति क्विंटल किया गया। 3. झीरम हमले के शहीदों को न्याय दिलाने के लिए SIT का किया गठन।'
इसके अलावा एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कन्या विवाह और निकाह योजना में संशोधन कर कन्या की खुशहाली के लिए अनुदान राशि 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार कर दी। वहीं राज्य में निवेश की स्कीम में बदलाव किया गया है। अब 70% प्रदेश के लोगों को रोजगार देने पर ही उद्योगों को योजनाओ का लाभ मिलेगा।
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