किसान न्यूज़ फसल बीमा योजना बड़ी खबर किसान जरूर जाने - .HIGH SPEED

More Services

Text Widget

किसान न्यूज़ फसल बीमा योजना बड़ी खबर किसान जरूर जाने

किसानो के लिए शुरू फसल बीमा योजना कि हकीकत लेकर आए है किसानो के लिए

किसानो के लिए शुरू फसल बीमा योजना कि हकीकत लेकर आए है किसानो के लिए
किसान न्यूज़ फसल बीमा योजना बड़ी खबर किसान जरूर जाने

क्या आप जानते है फसल बीमा योजना कि ये सच्चाई

किसानो के लिए 2016 मे फसल बीमा योजना शुरू कि गई इस उद्देश्य से कि किसानो को फसल मे नुक्सान होने पर ज्यादा क्लैम मिलेगा लेकिन आपको अगर फसल बीमा योजना कि सच्चाई बताए तो सरकार के आंकड़ो के अनुसार फसल बीमा कंपनीय अपनी झोली भर रही है कैसे यहा जाने केंद्र सरकार द्वारा 2016 में प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग होना शुरू हो गया है। आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले तीन सालो मे इस योजना के तहत किसानों की संख्या और कृषि योग्य भूमि के क्षेत्र में कमी आई है। दूसरी ओर, सरकारी और निजी बीमा कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। गौर करें तो इस योजना से किसानों का मोहभंग ऐसे ही नहीं हुआ है। जब किसानों को बीमे वाली फसल का समय पर मुआवजा नहीं मिलेगा और सरकारी तंत्र द्वारा तबाह फसल का सटीक आकलन भी नहीं होगा,

तो भला किसान अनावश्यक रुप से फसल बीमा योजना का बोझ क्यों उठाएंगे

सरकार के आंकड़े फसल बीमा योजना

फसल बोमा योजना के सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो 2016-17 में चार करोड़ चार लाख किसानों ने करीबन 382 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि का फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया था। फसलों के नुकसान का आकलन कर बीमा कंपनियों ने किसानों को सिर्फ 10 हजार पांच सौ 25 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर दिए। जबकि केंद्र और राज्य सरकारों ने इन बीमा कंपनियों को 1 लाख 31हजार 18 करोड़ रुपए प्रीमियम के तौर पर दिया।

ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि फायदे से किसकी झोली भरी।

फसल बीमा 2017-18 के आंकड़ों पर नजर

फसल बीमा 2017-18 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं। एक वर्ष में ही फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या 4 करोड़ 4 लाख से घट कर 3 करोड़ 49 लाख रह गई और कृषि क्षेत्रफल भी 382 लाख हेक्टेयर से घट कर 343 लाख हेक्टेयर रह गया। 2017-18 में केंद्र व राज्य सरकारों ने बीमा कंपनियों को प्रीमियम के तौर पर 1लाख 29 हजार 295 करोड़ रुपए दिए, जबकि किसानों को मुआवजे के तौर पर सिर्फ 13 हजार 700 सात करोड़ रुपए मिले। यानी इस बार भी मुनाफे में बीमा कंपनियां ही रहीं। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि केंद्र सरकार द्वारा फसल बीमा योजना प्रारंभ किए 2020 फरवरी में चार वर्ष हो जाएंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अभी तक 2017-18 के प्रीमियम का हिस्सा नहीं दिया गया है।

दूसरी ओर बिहार और पंजाब जैसे राज्यों ने तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू ही नहीं किया।

किसानों को नहीं मिल रहा है लाभ

इन आंकड़ों से एक बात साफ है कि फसल बीमा योजना का वास्तविक लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है और अब वे किस्त के अनावश्यक बोझ से बचना चाहते हैं। वैसे भी गौर करें तो देश में अस्सी फीसद से अधिक किसान लघु एवं मध्यम श्रेणी के हैं। इनमें सिर्फ तीस-चालीस फीसद किसान व्यावसायिक खेती करते हैं। अधिकांश किसान अपनी पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती करते हैं। ऐसे में बीमे का प्रीमियम देना उन्हें अखरता है। इसलिए कि उनकी फसल के नुकसान का आकलन सही तरीके से नहीं होता है और मुआवजा भी समय पर नहीं मिलता है। योजना के जरिए संदेश दिया गया कि प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद ही पच्चीस फीसद दावा सीधे किसानों के खाते में पहुंच जाएगा। अगर किसानों की फसल ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश या आंधी-तूफान से नष्ट होती है, तब भी उन्हें मुआवजा मिलेगा। इस उद्देश्य को साधने के लिए फसल बीमा को तेईस से बढ़ा कर पचास फीसद तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इस योजना में बंटाई पर खेती करने वालों का भी ध्यान रखा गया।

लेकिन आंकड़े बताते हैं कि फसल बीमा योजना का लाभ किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को मिला। यह माना जा रहा था कि इस योजना के मूर्त रूप लेने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड, विदर्भ, मराठवाड़ा और तटीय ओड़ीशा के उन किसानों का अच्छा-खासा भला होगा, जो वर्षों से न सिर्फ सूखे की मार झेल रहे हैं, बल्कि कर्ज के बोझ से भी दबे हुए हैं। लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। आज भी देश का हर दूसरा किसान कर्ज में डूबा है। देश के नौ करोड़ किसान परिवारों में से बावन फीसद कर्ज के बोझ तले हैं और हर किसान पर औसतन सैंतालीस हजार रुपए से अधिक का कर्ज है। ‘भारत में कृषक परिवारों की स्थिति के मुख्य संकेतक’ शीर्षक वाली रिपोर्ट की मानें तो आंध्रप्रदेश के 93 फीसद किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 44 फीसद, बिहार में 42 फीसद, झारखंड में 28 फीसद, हरियाणा में 42 फीसद, पंजाब में 53 फीसद और पश्चिम बंगाल में 51 फीसद किसान परिवार कर्ज में डूबे हैं। यह स्थिति कृषि प्रधान देश भारत के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है।

कृषि मंत्रालय और राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक कर्ज के जाल में फंसे किसान न सिर्फ बदहाली का जीवन जीने को अभिशप्त हैं, बल्कि आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार की विफल नीतियों का नतीजा है कि देश में किसानों की संख्या लगातार घट रही है। एक आंकड़े के मुताबिक 2001 में देश में 12 करोड़ 73 लाख किसान थे, जिनकी संख्या वर्ष 2011 में घट कर 11 करोड़ 37 लाख रह गई है। यानी 86 लाख किसानों ने किसानी छोड़ दी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो पिछले दस वर्षों में 31 लाख किसानों ने खेती छोड़ी है। खेती योग्य जमीन का कम होना, खेती में लागत का अधिक होना, रियल स्टेट के लिए अधिग्रहण इसके बड़े कारण हैं। इसके अलावा प्रकृति पर आधारित कृषि, देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ एवं सूखे का प्रकोप, प्राकृतिक आपदा से फसल की क्षति और कर्ज बोझ के कारण बड़े पैमाने पर किसान खेती छोड़ रहे हैं। पिछले एक दशक के दौरान महाराष्ट्र में सर्वाधिक 7 लाख 56हजार, राजस्थान में 4 लाख 18 हजार, असम में 3 लाख 30 हजार और हिमाचल में 1 लाख से अधिक किसानों ने खेती का काम छोड़ दिया। इसी तरह उत्तराखंड, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल जैसे छोटे राज्यों में भी किसानों की संख्या घटी है।

गौरतलब है कि एक हजार हेक्टेयर खेती की जमीन कम होने पर सौ किसानों और सात सौ साठ खेतिहर मजदूरों की आजीविका छिनती है। आज देश में प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता 0.18 हेक्टेयर रह गई है। बयासी फीसद किसान लघु एवं सीमांत किसानों की श्रेणी मे है तो दोस्तो ये है किसानो के साथ फसल बीमा का खेल जानकारी अच्छी लगी है तो शेर करे ओर एसे जानकारी पाने के लिए आप नोटिफ़िकेशन Allow करे

सरकारी योजना हेल्पलाइन नंबर Click Here
सरकारी योजना लिस्ट Click Here
World News Click Here
India Goverment Jobs List Click Here
India Result Click Here

The post किसान न्यूज़ फसल बीमा योजना बड़ी खबर किसान जरूर जाने appeared first on Latest Sarkari Yojana 2019 News & List - AlllGovtYojana.com.



from WordPress https://ift.tt/35GBbij

कोई टिप्पणी नहीं:

';